स्कूल में छोटी -छोटी ऐसी कई बातें होती थीं ,जिनके निहितार्थ बड़े थे ।अक्सर आर्थिक लाभ मिलने वाला कार्य मुझसे नहीं कराया जाता था।जैसे बोर्ड परीक्षाओं में मेरी ड्यूटी नहीं लगाई जाती थी और बोर्ड की उत्तर पुस्तिकाएं जांचने के लिए मुझे नहीं भेजा जाता था।इसके अलावा स्कूल के किसी भी कार्यक्रम का संचालक मुझे नहीं बनाया जाता था पर पढ़ाने के अलावा अन्य बेगार खूब लिया जाता था।मैं सब कुछ देखती- समझती थी पर चुप ही रहती थी।कुछ कहने का कोई मतलब नहीं था।हिंदी टीचर्स चयन बोर्ड में मेरा नाम था ।उसके लिए स्कूल टाइम के बाद घण्टों रूकना