मार खा रोई नहीं - (भाग सात)

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मुझे नहीं पता था कि स्कूल जैसी पवित्र जगह पर भी जाति धर्म,क्षेत्र ,लिंग,उम्र ,सोर्स-सिफारिश के आधार पर भी निर्णय लिए जाते हैं।योग्यता,प्रतिभा,कार्यकुशलता पर ये चीजें भारी पड़ जाती हैं।मुझे विभिन्न स्कूलों में पढ़ाने का अनुभव है।हर स्कूल की अपनी कमियां और खूबियाँ थीं। कहाँ क्या अनुभव मिला,कभी इस पर भी प्रकाश डालूँगी। सबसे पहले इस स्कूल के बारे में बात करूंगी,जहाँ 16 वर्ष काम किया और रिटायर कर दी गयी। वैसे तो अब तक के जितने भी स्कूलों में मैं रही,उसमें यह हर दृष्टि से बेहतर यह स्कूल था।सेलरी सरकारी तो नहीं पर अन्य स्कूलों के मुकाबले बेहतर थी।यहां