ये आम रास्ता नहीं- रजनी गुप्त

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आम रोज़मर्रा के जीवन से ले कर कला तक के हर क्षेत्र में हम सभी अपने मन में उमड़ते घुमड़ते विचारों को बाहर लाने के लिए अपनी रुचि एवं स्वभाव के हिसाब से कोई ना कोई तरीका अपनाते है। भले ही कोई उन्हें चित्रकारी के ज़रिए मनमोहक चित्र बना कर तो कोई उन्हें अपनी वाकपटुता के बल पर लच्छेदार तरीके से बोल बतिया कर व्यक्त करता है। कोई उन्हें अपने दमदार..संजीदा अभिनय के ज़रिए तो कोई अपनी लेखनी के ज़रिए अपने मनोभावों को अभिव्यक्त करता है। अब अगर मैं खुद अपनी बात करूँ तो मैं सामाजिक..राजनैतिक विसंगतियों के प्रति अपने मन