मैं तो ओढ चुनरिया - 20

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मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय बीस नींव की खुदाई शुरु हो गयी । दो मजदूर सुबह आठ बजते ही आ जाते और मन लगाकर नींव की खुदाई करते । मैं स्कूल से लौटती तो माँ प्लाट में जाने के लिए तैयार मिलती । मुझे कपङे बदलवाकर वे मुझे लगभग घसीटते हुए तपती हुई सङक पर लगभग भागती हुई चलती । माथे से पसीना टपक रहा रहा होता । गरमी और धूप से मैं बेहाल हो जाती । प्यास से मेरा गला सूख रहा होता पर माँ तो अपनी ही धुन में चलती चली जाती । मैं रुआसी हो