कोरोना काल में कविता से अलख जगाते मुक्तेश्वर - 2

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(1) कोरोना काल में बाजार घर घर हैं बीमार कोरोना की ऐसी रफ्तार,बीच में अफवाहों का अजब गजब अवतार।कोरोना महामारी है,नहीं है की होती तकरार,एन मास्क सर्जिकल मास्क सबके सब बेकार। आक्सीजन की अस्पतालों में खूब है मारम्मार,आक्सीजन जरूरी है,सिलिंडर का हाहाकार। आक्सीमीटर,लेमुनाइजर का है बढा बाजार,आपदा में अवसर ढूंढ हो रहा काला व्यापार। धैर्य संयम दो गज की दूरी,मजबूरी नहीं जरूरीकोरोना से क्यों है डरना वैक्सीन में सुरक्षा पूरीनि:सहाय,बूढे बुजुर्गों को मदद की है दरकार,युवाओं स्वयंसेवकों पर मानव रक्षा का