पिताजी की कहानी

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संध्या हिंदी की किताब में से जोर-जोर से रट रही थी-अलंकार वे शब्द होते हैं जो भाषा की सुंदरता बढ़ाते हैं. और पास बैठा किशु, बंशीलाल के बारे में ही सोच रहा था. पिछले कुछ दिनों से किशु ने अपनी कल्पना से एक बंशीलाल की रचना कर डाली है. दरअसल यह घटना फेंटम, शक्तिमान, स्पाइडरमैन, सुपरमैन,चाचा चौधरी जैसे कई कॉमिकों को पढ़ने के बाद घटी है. अब तो उसका दिमाग इस बंशीलाल के पीछे ही दौड़ता रहता है. उसका बंशीलाल बहादुर पर थोड़ा बेवकूफ, वैज्ञानिक किस्म का आदमी है जो नंबरी पेटू भी है. किशु का अक्लमंद बंशीलाल नई-नई यात्राओं पर