दैहिक चाहत - 6

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उपन्‍यास भाग—६ दैहिक चाहत –६ आर. एन. सुनगरया, सहकर्मी समय के परिवर्तनीय प्रवाह के साथ-साथ कार्य करते-करते परस्‍पर एक दूसरे से सहानुभूति पूर्वक बात-व्‍यवहार के स्‍तर पर अपने-अपने दु:ख-दर्द में सहभागी बनना स्‍वाभाविक प्रक्रिया है। देव जीवन के विपरीत हालातों के दुष्‍प्रभावों को गम्‍भीरता पूर्वक अंगीकार करके उदासीन होकर अपना मनोबल