मैं तो ओढ चुनरिया - 19

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मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय -19 रजनी और रेखा से अगला घर था लाजवंती मामी का जिनके चार लङके और दो बेटियाँ थी । मामा की साईकिल के पंक्चर लगाने की दुकान थी बेहट बस अड्डे पर । तो बङे दोनों भाई भी हर छुट्टी वाले दिन दुकान पर चले जाते और दिनभर साईकिलों में पंक्चर लगाया करते । मामी को हर रोज कोई न कोई मारी लगी रहती तो बङी रानी घर को सारे काम करती । इतने बङे परिवार के कपङे दो कनस्तरों में उबालकर सिर पर लाद लाती रजबाहे पर और रजबाहे में लकङी का