जैसे ही अवि और प्रज्ञा,विहान को गले लगाते हैँ…..तभी आसमान मे बिजली की तेज़ गड़गड़ाहट के साथ उनके घर की लाइट चली जाती है। तीनों बिजली की आवाज़ से डर जाते हैँ और प्रज्ञा घबराकर जल्दी से उठकर खिड़की से बाहर झाँक कर देखने लगती है। वो देखती है की चारों तरफ झप्प अंधेरा हो चुका था और सामने भी कुछ नज़र नहीं आ रहा था और सड़क किनारे लगे खम्बों मे शॉर्ट सर्किट की वजह से चिंगारियाँ उठ रहीं थी। बाहर के तूफ़ान को देखकर अब उसके अंदर भी एक तूफ़ान उठ चुका था। अविनाश टॉर्च जलाये सोफे पर विहान को लिए