राधारमण वैद्य-भारतीय संस्कृति और बुन्देलखण्ड - 3

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हिन्दी की गोद में तमिल-पुत्री ‘‘बरगुण्डी’ राधारमण वैद्य’ कुछ वर्ष पूर्व श्री अमृत पय्यर मुत्तू स्वामी, ( जो इस लेख को लिखने के समय दतिया शासकीय स्नातक महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर काम कर रहे हैं,) मंदसौर में थे, वहाँ कुछ लोग दिखाई दिये, जिनकी मात्र गरीबी ने उनका ध्यान आकर्षित नहीं किया, बल्कि उनकी भाषा ही आकर्षण का केन्द्र बनी, यद्यपि श्री स्वामी उसे भली प्रकार और पूरी तरह नहीं समझ पा रहे थे, पर उन्हें सुनकर लगता था कि वे अपनी मातृभूमि तंजावर (तमिलनाडु) मंेे अपने लोगों के बीच हों। उन व्यक्तियों