में और मेरे अहसास - 34

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  हारी हुई बाज़ी हम जीत कर दिखा देगे lतुम्हें और खुद को मुस्कुराना सिखा देगे ll सुबह और शाम खुदा से दुआएँ कर के lतेरी तक़दीर मे खुशियो को लिखा देगे ll बहोत हों चुकी नादानी सुनो नादाँ जान lजल्द ही तुझे दुनियादारी सिखा देगे ll   ************************************* मेरी खामोशीया की तुम वजह मत पुछो।मेरी मासूमियत की तुम वज़ह मत पूछो ll   ************************************* मेरी हर सोच मे आप की सोच होती है lबेवजह मेरी आंखे रोज बेपनाह रोती है ll मिलन की तड़प इस तरह बढ़ जाती है lतेरी ही तस्वीरें देख देखकर सोती है ll जुदाई के