उपन्यास भाग—4 दैहिक चाहत – 4 आर. एन. सुनगरया, ...........देवजी की आवाज़ नेटवर्क की भॉंति कटऑफ हो गई। घौर सन्नाटा, जैसे काली अँधेरी रात जम गई, वर्फ की तरह ! शीला सन्न–सुट्ट हो गई, चेतना मूर्छा में बदल गई। पूछना, बोलना, जानना एवं कहना