ढाक के तीन पात- मलय जैन

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उपन्यास या कहानियों के संदर्भ में अगर हम बात करें तो आमतौर पर कहीं इनमें सामाजिक चेतना डंके की चोट पर सरेआम अपना परचम लहराती दिखाई देती है तो कहीं इनमें प्रेम एवं दुख का कॉकटेलिए मिश्रण अपने पूरे शबाब पर दिखाई देता है। कहीं इनमें सामाजिक ताने बाने से जुड़ी ऊँच नीच अथवा अमीरी गरीबी आपस में एक दूसरे से टाइमपास हेतु दोस्ती-दुश्मनी का पसंदीदा खेल खेलती नज़र आती है। तो कहीं इनमें निराशा..अवसाद एवं हताशा के कहे अनकहे लम्हों को भी हास्य-व्यंग्य के ज़रिए पोषित कर तमाम सामाजिक विद्रूपताओं..विषमताओं एवं असमानताओं को निशाना बनाया जाता है।हर कहानी या