उमंग - संक्राति काल

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परशुराम का तेज~~~~~||||~~~~शस्त्र,शास्त्र दोनों बल हैं इससे मानव रचता है इतिहासमानवता जब पूजी गयी हुआ तम का ह्रासरक्षक बने परशुरामदधीचि की हड्डियों का करते नित्य अभिषेकहड्डी अमूर्त थींमूर्त दिखा धनुधारी का वेशस्वंयवर चयन में जब प्रचंड टंकार हुआतब परशुराम का अद्भुत दिखा प्रवेशक्रोध अधिक था किंचित प्रश्न उपजा मन मेंप्रत्यक्ष राम के तेजस्वी रूप बल नेस्थापित किया उत्तर का अवशेष~डॉ रीना'अनामिका' तिरंगा कफन चाहिए~~~~~~~|||||||~~~~~~उजबक परिस्थितियों को कर सकें हम नियंत्रितसूझ बूझ का हो पारखी ऐसे युवाओं का अब देश को आधार चाहिए. उनके उत्साह में कोई कमी न हो धरा के खातिर मर मिटेंगे ऐसा बालक भी समझदार चाहिए. . ‘मैं‘ भी काम आऊं “वतन“ के मन से