बच्चों का मेला

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कहानी बच्चों का मेला /सुधा भार्गव मुकद्दर –चुकद्दर एक बार बड़े शौक से मेला देखने गए । मेला कोई ज्यादा बड़ा नहीं था । एक तरफ छोटी –छोटी दुकाने लगी हुई थीं दूसरी ओर खाने पीने की दुकानें। पर इस छोटी सी दुनिया में एक बहुत बड़ी दुनिया समा जाना चाहती थी । मुकद्दर समझ न सका –लोग दुकान पर टूटे क्यों पड़ रहे हैं । वह तेजी से आगे बढ़ा ,उसके पीछे चुकद्दर भी । दुकान पर बोर्ड लगा था –माँ के साथ बच्चा मुफ्त ।दोनों सकते में आ