एक वरदान - संभोग - 2

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संभोग मानवीय जीवन की सिर्फ एक आवश्यकता ही नहीं हैं बल्कि एक वास्तविक सत्य भी है। संभोग मानव जीवन के लिए एक वरदान के रूप में है जिसका अभिप्राय केवल शारीरिक संतुष्टि न होकर मानसिक एवं आत्मिक मुक्ति भी है। संभोग एक ऐसी रचना है कि जिसका भोग हर प्राणी मात्र करना चाहता है पर जब बात संभोग को पारिवारिक एवं सामाजिक नजरिये से अपनाने की होती है तो सभी की सोच अलग हो जाती हैं, मानो उन्हें संभोग से कोई लेना देना ही न हो।इस संसार में हर जीवित व्यक्ति की मूलभूत अवश्यताओं की बात करें तो हवा, पानी,