मेहनत

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सुबह का समय था.मैं अपने कमरे में बैठकर अखबार पढ़ रहा था. तभी नौकर चाय का प्याला लाकर सामने रखकर दिया तथा स्वयं बोला"मालिक आपसे कोई मिलने आया है""ठीक है भेज दो और हाँ सुनो,मेरे लिए एक गिलास पानी और उस मेहमान के लिए एक कप चाय लेते आना"मैंने नौकर को आज्ञा दी.कुछ देर के बाद एक वयोवृद्ध मेरे सामने बैठे थे.पहनावा तथा बात-विचार से सज्जन मालूम पड़ रहे थे.हमलोगों में बातचीत जारी था.तभी नौकर चाय रखकर चला गया. उनका नाम जगन्नाथ मिश्र था,जैसा की उन्होंने बातचीत के दौरान बता दिया."हाँ तो जगन्नाथ जी,क्या बात है बोलिये"मैंने उनसे पूछा.