नागमणी (संस्मरण ) - 6

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अब गुरूजी ने वह आटे से बनाया हुआ दीया प्रज्वलित कर दिया और उसके ठीक नीचे की सीढ़ी पर जहाँ तक पानी चढ़ा हुआ था वह बर्तन रख दिया । मेरे मित्र द्वारा लाया गया दूध उस बर्तन में डालने के बाद गुरूजी ने वह मणि जो अब तक मेरे मित्र के ही पास थी कुछ बुदबुदाते हुए उस दूध से भरे बर्तन में डाल दिया । यह बर्तन एक छिछला और बड़े पेंदे का भगोना था जिसे कहीं कहीं टोप भी कहते हैं । अब गुरूजी ने अपने थैले में से एक लाल रंग के कपडे के टुकडे को