नागमणी (संस्मरण ) - 5

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गुरूजी की बात अब मेरे समझ में आ रही थी । ‘ वाकई रात के अँधेरे में हम वहां मंदिर के पास क्या कर रहे हैं कौन जान पायेगा ? और फिर जान भी ले तो क्या ? कोई गलत काम तो कर नहीं रहे हैं । अगर कामयाब हो गए तब तो गुरूजी के बताये अनुसार बहुत बड़ी बात हो जाएगी । तो फिर गुरूजी की बात मान लेने में बुराई ही क्या है ? ' और दूसरी कोई सुरक्षित जगह भी तो नहीं समझ में आ रही थी । काफी सोच विचार कर हमने गुरूजी से इसी सोमवार