अगले दिन त्रिधा कॉलेज के लिए तैयार होते वक़्त आइने में कुछ ज्यादा ही देर अपने अक्स को देखती रही वहीं माया के फोन में आज भी गाना चल रहा था - महबूब मेरे, महबूब मेरे महबूब मेरे, महबूब मेरे तू है तो दुनिया, कितनी हसीं हैजो तू नहीं तो, कुछ भी नहीं हैमहबूब मेरे, महबूब मेरे महबूब मेरे, महबूब मेरे...गाने के बोलों ने एक बार फिर त्रिधा को हर्षवर्धन के ख़यालों में उलझा दिया। आज त्रिधा ने हल्के पीले रंग का सूट पहना हुआ था जिसपर छोटे छोटे लाल फूल और चांदी के रंग के पत्ते बने हुए थे, कानों में पहने उसकी