उजाले की ओर ------------------ स्नेही मित्रों नमस्कार मानव-मन बहुत जल्दी दुखी हो जाता है |कोई बात किसीके विपरीत हुई नहीं कि मन उसको अपने ऊपर ढाल लेगा,दुखी हो जाएगा,इतना दुखी कि कई-कई दिनों तक उस मन:स्थिति से बाहर नहीं निकल पाएगा जिसमें येन-केन वह चला गया है अथवा उसे जाना पड़ा है | एक और बात बहुत ही मनोरंजक बात है ,मन को प्रभावित भी करती है और पीड़ा भी देती है कि हम मनुष्य अपना काफ़ी समय किसी न किसीके बारे में बातें करने में गंवा देते हैं |यदि कुछ सकारात्मक बात हो तब भी