मैं तो ओढ चुनरिया - 16

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मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय -16 पाठशाला में दो चीजें मुझे बहुत अच्छी लगती , एक तो तख्ती सुखाना । हम घर से एक तरफ वर्णमाला और दूसरी तरफ गिनती लिखकर लाते । बहनजी हर बच्चे को बुलाकर उसकी तख्ती देखती फिर तख्ती पोचने भेज देती और हम पाठशाला के इकलौते नल पर बैठे अपनी बारी का इंतजार करते । बारी मिलती तो इतना खुश होते मानो कारुं का खजाना मिल गया हो । फिर घिस घिस कर तख्ती साफ करते , फिर गचनी या मुलतानी मिट्टी से तख्ती पर लेप लगाते । इसके बाद तख्ती धूप