स्वयँ प्रकाश-ईंधन

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पुस्तक समीक्षा उपन्यास। ईंधन स्वयँ प्रकाश जिनका अपने संचालन में कोई हाथ ना हो जन्म जन्म रहे जाएं अकेले कोई साथ ना हो मुकुट बिहारी सरोज आज की हिंदी कथा साहित्य के सर्वश्रेष्ठ और बेहद महत्वपूर्ण कथाकार स्वयं प्रकाश का उपन्यास ईन्धन इक्कीसवीं सदी की कारपोरेट जगत की कथा है। जिसमें मनुष्य को संसाधन बना देने की बुरे परिणाम दिखने लगे हैं । आज का युग कारपोरेट युग है। रोहित यह भली प्रकार जानता है कि वर्तमान युग में मानव की उपयोगिता सिर्फ इतनी सी है कि उसे सांप्रदायिक शक्तियां और बहुराष्ट्रीय कंपनियां एक इंधन के रूप में उपयोग करें