स्वतन्त्र सक्सैना के विचार - 3  

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साहित्‍य की जनवादी धारा डॉ0 स्‍वतंत्र कुमार सक्‍सेना साहित्‍य के पाठक एवं रचनाकार सुधी जन सबके मन में यह प्रश्‍न उठता है । साहित्‍य में जनवादी कौन सा तत्‍त्‍व है? साहित्‍य की कई धाराएं हैं। कुछ साहित्‍य को स्‍वांत: सुखाय मानते हैं । कुछ के लिये साहित्‍य आंतरिक भावों की अभिव्‍यक्ति है । साहित्‍य में जनवाद नई विधा नहीं है ,यह पुरातन है । हमारा समाज आदिम कबीलाई युग के बाद से ,दास प्रथात्‍मक समाज ,सांमत वादी समाज ,व वर्तमान पूंजीवाद युग का समाज वर्गों में बंटा समाज है ।इसमें कुछ शोषक- शासक वर्ग के लोग हैं जैसे