मैं तो ओढ चुनरिया - 15

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मैं तो ओढ चुनरिया अध्याय पन्द्रह नियत समय पर सबने मिलकर बेबे को नहलाया । नये भगवा रंग के कपङे पहनाये , उन्हें पालथी मार कर बैठाया और उन्हे कहीं ले गये । मुझे समझ नहीं आ रहा था कि नानी कहीं चली गयी है तो ये सब इतना रो क्यों रहे हैं । जब उनका मन करेगा , वे लौट आयेंगी जैसे हम फरीदकोट जाते हैं फिर वापिस आ जाते हैं वैसे ही । फिर धीरे धीरे समझ आई कि बेबे अब नहीं आयेगी । वह भगवान के पास चली गयी है । ऊपर आसमान में