इंसानियत - एक धर्म - 48

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थोड़ी ही देर में वह भारी वाहन धीरे धीरे चलते बंगले के गेट के सामने आ गया । जिस तरह हवा के तेज झोंके से शांत पानी में भी लहर पैदा हो जाती है शांत खड़ा जनसागर भी लहर की मानिंद पीछे की तरफ हट गया । वाहन के पीछे के हिस्से में जो कि एक प्लेटफॉर्म जैसा प्रतित हो रहा था एक मंच बनाया गया था जो चारों तरफ से फूलों की लड़ियों से सुसज्जित किया गया था और उस मंच पर एक शव पेटिका थी जिसमें शहीद अमर का पार्थिव शरीर रखा हुआ था । ससम्मान लिपटा हुआ