इंसानियत - एक धर्म - 46

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किसी अनहोनी की आशंका से नंदिनी संशकित हो उठी थी लेकिन मन के भाव अपने अंतर में दबाते हुए नाराजगी दर्शाते हुए धीरे से कर्नल साहब से बोली ” बाबूजी ! आप को बाहर का कुछ भी खाने से परहेज करना चाहिए था । कहीं शुगर और रक्तचाप बढ़ जाता तो ?” नंदिनी से आंखें चुराते हुए कर्नल साहब ने तत्परता से कहा ” अरे बेटी ! नहीं ! मुझे कोई तकलीफ नहीं है । और फिर किसी की इच्छा का अनादर भी तो नहीं कर सकते । जब मैंने समोसे खाने की हामी भरी उस वक्त तुम्हें मोहन का चेहरा