इंसानियत - एक धर्म - 41

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मुनीर को पुकारते हुए ‘ परी ‘ रिक्शे से काफी नीचे की तरफ झुक गयी थी । अपने ही उधेड़बुन में उलझे हुए मुनीर के कानों तक परी की चीख पहुंची थी लेकिन वह यह नहीं समझ सका था कि वह बच्ची उसे ही पुकार रही है और वह भी पापा के संबोधन से । इधर रिक्शा तेजी से उसके सामने से होता हुआ मुनीर से विपरीत दिशा में गुजरा ही था कि उस बच्ची ने एक तेज चीख के साथ रिक्शे से नीचे छलांग लगा दी ।बच्ची की तेज चीखें व साथ ही रिक्शे के ब्रेक के साथ ही