#तलाश_6गतांक से आगे पर मन को समझना कौन चाहता है, मन को समझते तो शमित से कोई शिकायत ही नही होती, मैं इन परिस्थिति में भी उनके साथ रहने को तैयार हूं, बस वह कम से कम भावात्मक रुप से तो मुझे जाने...समझे, ये कहते हुये कविता की रुलाई फूट गई ... सुजाता ने कविता के कन्धे को थपथपाकर सान्त्वना दी, कविता अपने को संयत करते हुये बोली " दी कई बार मुझे खुद समझ में नही आता मैं इन बेमतलब के रिश्तों से क्यों बंधी हूं, पर शमित के प्रति अनजाना सा आकर्षण महसूस करती हूं..मन चाहता