साजिश - 3

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साजिश 3 विशाल सैल वाली घड़ी बाँधे था जिसमें टॉर्च भी फिट थी। उसने टॉर्च जलाकर टाइम देखा साढ़े बारह बज रहे थे उसने नितिन को कोहनी मारी और फुसफुसाया-क्यों बे झूठ बोलता है। अभी तक तेरा वो ससुर नहीं आया। नितिन चिढ़कर धीरे से बोला-देख भेजा मत खा, चुपचाप पड़ा रह। इतने में ही कहीं कार रुकने की आवाज आई। वे शान्त लेट गए जैसे गहन निद्रा में हों। पद-ध्वनियाँ धीरे-धीरे नजदीक आती जा रही थीं। उन लोगों ने अपने कान खड़े कर लिए और विशाल ने टेप चालू करके खिड़की में किवाड़ के पीछे रख दिया।