सौतेला

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सौतेला बगीचे में बैठा अनुराग विचारों में खोया हुआ था । पास ही बस्ता रखा हुआ था, रखा हुआ क्या था, बेतरतीबी से पड़ा था। किताबें-कॉपी बस्ते के बाहर झाँककर उसे मुँह चिढ़ा रही थीं। इन सबसे ध्यान हटाकर वह आसमान की तरफ ताकने लगा। आज वह बेहद उदास था। उसकी इच्छा नहीं थी कि वह घर जाए। जबकि कहाँ वह रोज ही बड़े उत्साहपूर्वक स्कूल से घर जाया करता था। यहाँ तक कि उसे दोस्तों से बात करने तक की फुर्सत नहीं रहती थी। आज केवल एक ही बात उसके मस्तिष्क में गूंज रही थी, जिसने पढ़ने में भी