विश्वासघात--(अन्तिम भाग)

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इधर इन्सपेक्टर अरूण और प्रदीप कुछ देर में नटराज के फार्महाउस जा पहुँचे,उन्होंने मोटरसाइकिल दूर ही खड़ी कर दी ताकि मोटरसाइकिल की आवाज़ से किसी को श़क ना हो जाए और दोनों पैदल ही फार्महाउस के पास आ गए,तभी अरूण बोला____ प्रदीप! हमें सामने के दरवाजे नहीं जाना चाहिए,नहीं तो उन लोगों को श़क हो जाएगा और हमें ये भी तो पता नहीं है कि कितने आदमी हैं वहाँ? आप सही कह रहें हैं अरुण भइया! हम लोग खिड़की से चलते हैं,मैं इस तरफ वाली खिड़की से भीतर घुसता हूँ और आप फार्महाउस के पीछे वाली खिड़की से घुसिए,प्रदीप बोला।।