सरहद - 6 - अंतिम भाग

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6 ‘‘दीदी... तुम्हे पता है जेठा जोगी क्यों आये अचानक,’’ बैजन्ती पीछे मुड़ी-हमारी सासू जी को मिल गये थे वे हरिद्वार में...! जब वे बैसाखी को गंगा नहाने गई थी हरि की पैड़ी पर जाते हुए जोगियों की जमात में, पीछे मुड कर खड़ी होकर फुसफुसाई-सासू ने देखा जोगियों के झुंड में अपने जेठा जी मस्त जा रहे हैं। ये चकरा गई कि आज कहाँ से मिल गया बेटा! ससुर जी को गंगा मंदिर में रूकने को बोल कर लपकी थी, जोगी जमात के पीछे,’’ मैं’ तो उसकी बात सुनकर चकरा ही गई, यकीन नहीं हुआ-तू सच्ची कह रही बैजन्ती....?