विनाशकाले.. - अंतिम भाग

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अंतिम अध्याय-------------/// गतांक से आगे….. मनोहर को अपने व्यवसाय एवं रेखा से फुरसत ही नहीं थी,न विशेष दिलचस्पी थी रेवती में।किन्तु रेवती और आलोक का प्रेम काकी की अनुभवी आंखों से छिपा नहीं रह सका।वे नहीं चाहती थीं कि रेवती उन फिसलन भरी राहों पर चलकर दुबारा घायल हो जाय।अतः उन्होंने उचित अवसर देखकर रेवती को समझाना चाहा कि बेटी एक बार जीवन में धोखा खा चुकी हो,दूध का जला छाछ भी फूंककर पीता है, इसलिए कोई गलत कदम मत उठा लेना, जो भी करना सोच-समझकर करना,अन्यथा तुम्हारे साथ- साथ बच्चों की भी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। काकी की