खास हलवा

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एक थी लड़की, नाम था सोना. एक दिन जब उसका जन्मदिन आया तो वह मां के पास आकर बोली, ‘‘ मां-मां मैं हलवा खाऊंगी.’’वैसे तो वे गरीब लोग थे और हलवा-पूरी या पुलाव-बिरयानी के बारे में कभी नहीं सोचते थे, फिर उस खास दिन की परवाह करते हुए मां ने सूजी की जगह आटे से काम लिया, चीनी की जगह गुड़ का इस्तेमाल किया, घी की जगह पानी से काम चलाया और इस तरह बनाया, सोना के जन्म दिन का खास हलवा. अब पत्ते का एक दोना बनाकर, उसमें हलवा डालकर मां ने सोना को समझाया, ‘‘ प्यारी बेटी, यहीं बैठ-बैठकर खाना. बाग में