रिश्तों के दायरेनवीन का विवाह तय होते ही रूचि खुशी से झूम उठी थी...वर्षो बाद एक बार फिर इस घर में शहनाईयों की धुन गॅूजेगी...। बहू के लिये कैसे जेवर बनेंगे, कैसे कपड़े खरीदे जायेंगे, रिश्तेदारों को विदाई में क्या देना होगा, कौन सा हलवाई लगेगा...मीनू में क्या-क्या रहेगा...? काम अनेक थे, समय कम था । बहू रिया के पिता स्टेटस से उसका विवाह करने भारत आये थे...उन्हें शीघ्र ही वापस लौटना था । रिया पली बढ़ी तो विदेश में थी लेकिन वह भारतीय संस्कृति से प्रभावित थी तथा इसी से संबधित शोध कार्य भारत में रहकर करना चाह रही