आला जी

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घर में राहत का माहौल काफ़ी लम्बे अरसे बाद बना था। दरअसल बहुत दिनों बल्कि महीनों बाद रसोईया अलाउद्दीन अपने गांव से लौट रहा था। उसे उपनाम ’’आला’’ जी कहकर पुकारा जाता था। अब रसोई का नीरस वातावरण फिर संगीतमयी हो जाएगा, आला जी खाना बनाते हुए नात गाया करते थे ना, वे गाते भी डूबकर थे। कहते थे खुदा के नाम से खाना स्वादिष्ट बनता है और खाना बनता भी लाजवाब था। लोग उंगलियां चाटते रह जाते। सुनीति यानि घर की स्वामिनी के आॅफिस तक आला जी के बनाए खाने के चर्चे थे। सुनीति का टिफ़िन जब खुलता तो