रमाकान्त की मां को दिल का दौरा पड़ने से गुजर गई थीं। कुल पचास की भी नहीं थीं। अभी तक एक पोते का मुंह देख पाई थीं। बेटी मीनाक्षी जिसे प्यार से मिन्नी पुकारते थे, की शादी का सपना लिए ही चल बसी थीं। मिन्नी और भाई रमाकान्त फूट-फूट कर रो रहे थे कि मां कुछ दिन और जी जाती तो मिन्नी का ब्याह देख जाती। कुछ दिन से रमाकान्त बहन का रिश्ता जोर-शोर से देख रहे थे। उन्होंने पिता का फर्ज़ अदा करने में कोई कसर न छोड़ी थी। रमाकान्त के पिता कई वर्ष पहले ही चल बसे थे