विवेक तुमने बहुत सहन किया बस! - 11

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अध्याय 11 सिम्हा इतनी भी सुंदर नहीं थी। कोई भी आदमी के दोबारा देखने लायक भी नहीं थी। साड़ी पहनकर माथे पर एक स्टिकर की बिंदी लगाए हुए थी रोने के कारण आंखें सूजी हुई थी। विवेक और विष्णु उसके सामने जाकर बैठे। विवेक कुछ क्षण मौन रहने के बाद बोलना शुरू किया। "सॉरी.... मिस सिम्हा ! आप अभी जिस मन: स्थिति में हैं उसमें मुझे आपसे पूछना नहीं चाहिए। फिर भी दूसरा रास्ता नहीं है। यू हैव टू आंसर माई क्वेश्चनस!" वह अपने हाथ में जो रुमाल था उसे मुंह में रखकर रोने को दबाकर बोली। "मुझे पहले अप्पा