"नमस्ते आंटी जी, कैसे हो आप!""नमस्ते नमस्ते बेटा! मैं तो ठीक हूं तुम सुनाओ!!! वैसे आज बड़े ही अच्छे मौके पर आई हो । कल ही तेरी सहेली सोनम भी आई है।""मुझे पता चल गया था आंटी जी ! तभी तो उससे मिलने आई हूं। देखो ना आंटीजी, शादी के कितने साल हो गए । फिर भी चाहकर ससुराल से एक दूसरे के घर आना जाना कितना मुश्किल है। कभी मिलते हैं तो यही मिल पाते हैं।""हां बेटा, यह बात तो तूने बिल्कुल सही कही। क्या करें!! हम औरतें सबके लिए समय निकाल सकती हैं। सिर्फ अपने लिए ही नहीं!अच्छा तू बैठ।