इंसानियत - एक धर्म - 40

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भीड़ की अधिकता की वजह से मुनीर को आगे बढ़ने में दिक्कत हो रही थी जबकि उस यात्री की बात सुनते ही उस टीसी के तनबदन में आग लग गयी । बिफरते हुए बोला ” तो ठीक है बेटा ! जब जेल में चक्की पिसोगे तब तुम्हें आटे दाल का भाव मालूम पड़ेगा । चलो ! स्टेशन आनेवाला है । ”आगे बढ़ते हुए मुनीर के दिमाग ने सरगोशी की ‘ अरे ! तू कहाँ जा रहा है ? अब वह टीसी तो खुद ही उतरने की तैयारी में है । अब वह तेरी कोई बात नहीं सुनेगा । बेहतर होगा