इंसानियत - एक धर्म - 34

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अचानक खांसी आ जाने की वजह से असलम की बात अधूरी रह गयी थी । कुछ देर खांसने के बाद असलम थोड़ा सामान्य हो पाया था । उसकी आंखें सुर्ख हो गयी थीं । रजिया भागते हुए जाकर पानी ले आयी थी । पानी का गिलास असलम के होठों से लगाते हुए बोली ” या अल्लाह ! ये अचानक आपको क्या हो गया ? अब आप ठीक तो हैं ? ” उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही थीं ।आंखें बंद कर खामोशी से थोड़ा पानी हलक के नीचे उतारने के बाद असलम ने रजिया को सब ठीक