खौलते पानी का भंवर - 6 - पाँच रुपये का दर्द

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पाँच रुपये का दर्द शाम को दफ़्तर से छुट्टी करके तेज़-तेज़ कदमों से चलता हुआ वह केन्द्रीय भण्डार की राममनोहर लोहिया अस्पताल शाखा के सामने पहुँचा है. महीने की शुरूआत की वजह से होने वाली अन्दर की भीड़ उसे बाहर से ही दिखाई दे गई है. अन्दर जाने से पहले उसने अपने ब्रीफकेस में से प्लास्टिक का थैला निकाला है और साथ ही पैंट की पिछली जेब में पड़े पर्स से ख़रीदने वाले सामान की लिस्ट. अन्दर पहुँचकर उसने एक तरफ से ख़रीदारी शुरू की है. सबसे पहले उसकी नजर घी के डिब्बों पर पड़ी है. अलग-अलग तरह और अलग-अलग