जैसी करनी, वैसी भरनी

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कैलाश पर्वत पर विराजमान महादेव जी से एक दिन माता पार्वती जी बोलीं ,” हे नाथ ! माता आदिशक्ति की अनुकंपा से आप त्रिदेवों ने इस ब्रम्हांड और तत्पश्चात भूलोक की संरचना की जिसे नदियों , पहाड़ों , वनों और उनमें विचरण करते तरह तरह के जीव जंतुओं से आबाद किया ! लेकिन ये मनुष्य नामक प्राणी को बनाने के पिछे आप लोगों की क्या सोच थी समझ से परे है ! “” तुम सही कह रही हो देवी ! हमें भी अब ऐसा ही महसूस हो रहा है । हमने मनुष्य को बनाकर उसे सोचने ,समझने , बोलने व