विश्वासघात--भाग(२०)

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दूसरे दिन कुसुम की रिहर्सल शुरु हुई,बुआ बनने के लिए,नकली विग मँगाई गई,एक चश्मा मँगाया गया और एक सफ़ेद साड़ी भी मँगाई गई,जिसे पहनकर कुसुम तैयार हुई,अब समय था अभिनय का,कुसुम कोशिश तो कर रही थी लेकिन उससे कहीं ना कहीं गड़बढ़ हो ही जाती,उनके पास समय भी ज्यादा नहीं बचा था क्योंकि शाम को नटराज के यहाँ डिनर पर जाना था।। जैसे तैसे कुसुम ने बूढ़ो वाले हाव भाव सीख ही लिए,उसे थोड़ा खड़ूस भी दिखना था,जो उससे हो नहीं पा रहा था,संदीप बोला____ बस,तुम इतना रहने दो,वहाँ ज्यादा बोलना नहीं ,मुँह बंद रखना।। तो तुम अकेले ही