विश्वासघात-भाग(२)

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दयाशंकर ने डरते हुए पूछा___ कौन है भाई? तभी दरवाज़े के पीछे से आवाज़ आई___ मैं हूँ शक्तिसिंह!दरवाज़ा खोलों भाई! मेरे छोटे भाई और उसकी पत्नी को डाकुओं ने मार डाला है,मैं जैसे तैसे अपने दस साल के भतीजे को बचाकर यहाँ आ पहुँचा कि किसी भी कोठरी में इसे छुपा दूँगा,कम से कम मेरे खानदान का इकलौता चिराग बचा है, वो ना बुझ पाएं,अगर तुम इसे इस कोठरी में छुपाने की जगह दे दोगे तो बहुत कृपा होगी,जिन्द़गी भर तुम्हारा एहसान मानूँगा,शक्तिसिंह बोलें।। अरे,दयाशंकर भइया जल्दी से दरवाज़ा खोल दो,बच्चे की जान को खतरा है, लीला बोली।। हाँ,लीला