मेरी हिंदी कविताएं

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✍️शफ़क़✍️मेरी हर शफ़क़ को इत्र सी महका जाती है मेरी रुह में बसकर बिख़र जाती है तेरी वो बेसुमार महोब्बत की कशीश जो आज भी तेरी ख़ामोशी और मेरे इंतज़ार के दरम्या भीकुछ तो राब्ता होने की नायाब उम्मीद लेकर आती है जो हमें हर शफ़क़ और भी करीब ले आती ...-Falguni Shah ©??????????????✍️ परछाई ✍️मैंने अक्सर देखा है समझा हैअकेले बैठकरतेरी आंखों में झांक करएक अजीब-सा अकेलापनजो तु भरकर रखती हैअपने दिल केखाली कोने मेंजिसे तु नहीं चाहती खुलकरकभी सांझा करनाहर किसी सेतु तो बस ढूंढती हैकोई एक एेसा जो तुझे और तेरे इस बिखरे हुएखालीपन को अपनेपन के आगोश में समेटेजो भर दे तुझे यह कहकर कि"मैं तेरे साथ हूं"हा, उसने