स्वीकृति - 3

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ताराचंद अपने घर लौट आते हैं. घर आने पर अपनी पत्नी को रोता हुआ देख कर उनका क्रोध बढ़ जाता है. तभी ताराचंद की पत्नी उषा सिसकते हुए उनसे पूछती है, "सुष्मिता का कुछ पता.. च... ल.....". लेकिन डर में वह इसके आगे कुछ कह नहीं पाती, मानो किसी अज्ञात डर ने उसके जुबान को जकड़ लिया हो... उसका इतना पूछना था और ताराचंद गुस्से से पागल हो जाते हैं, वह गुस्से में सामने रखे हुए कांच के गुलदान को हाथ में उठाकर उसकी ओर फेंकने ही वाले थे कि तभी उनके घर का नौकर उन्हें किसी के आने की सूचना देता है.