(10) एक दिन रघुनाथ परिकर ने अंजन को बात करने के लिए बुलाया। अंजन समझ गया था कि वह क्या बात करेगा। इसलिए वह सब सोचकर गया था कि क्या करना है। जब वह रघुनाथ परिकर के पास पहुँचा तो वह बहुत गुस्से में था। उसने अंजन से कहा,"धोखेबाज़ तूने मेरी बहन को सीढ़ी की तरह इस्तेमाल किया। उसे अपने झूठे प्यार के जाल में फंसाकर मेरे खिलाफ साजिश की। मुझे सब पता चल गया है। मानवी की प्रैगनेंसी की झूठी खबर तुमने मुझ पर दबाव बनाने के लिए गढ़ी थी। मानवी को भी अपने साथ मिला लिया।