हिसाब

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समाज में ज्यादातर लोग बड़े पुरजोर शब्दों में बराबरी का दावा करते हैं, परन्तु स्वयं उसका पालन नहीं करना चाहते। कविता विवाह के पश्चात हर वर्ष जाड़ों, गर्मियों की छुट्टियों में अपने दोनों बच्चों के साथ मायके मां-पिताजी से मिलने अवश्य आती थी।मां, पिताजी, बच्चे एवं कविता छुट्टियों का बेसब्री से इंतजार करते थे।बड़े भाई अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते थे, जो दो-तीन वर्षों में चार छः दिनों के लिए आते थे वो भी अक्सर अकेले क्योंकि भाभी एवं बच्चों का मन छोटे शहर में नहीं लगता था।वास्तविकता सभी जानते थे कि भाभी अपने सास-ससुर से सामंजस्य